श्रधेय बिदाई
हमारा नित्य प्रति लोगो से मिलने जुलने का कार्य चलता रहता है, ऐसे मे कुछ ऐसे लोग होते है जो अपना एक प्रभाव छोड़ जाते है, जिन्हे हम कार्य उन्मुख होते समय उनकी याद करते है। ऐसे लोगो के प्रति हमारा भाव एक बिचार बनकर हमारे अंदर रह जाता है। इन्ही बिचारो की एक कड़ी हम यहां भेंट कर रहे है
कार्य मे प्रखरता तथा ततपरता व्यक्ति को एक दुसरे से जोडने का जो कार्य करता है उसका प्रभाव बनता है। कार्य के प्रति लगाव की गाथा को सुनाकर एक दुसरो को प्रोत्साहन करने की बात सतत चलती रहती है, लेकिन कार्य उत्साह से जो समाज को प्रगति मिलती है, वह एक पहचान छोड़ जाती है। उसी का एक स्वरुप का वर्णन यहां हम कर रहे है.
क्रर्य उत्साह बनी रहे इसलिए लोगो से बराबर बातचीत करने की व्यसायिक कला के अलावा भी लोगो का अपना एक व्यक्तित्व होता है, जो हमे एक दुसरे से जोड़ देता है जिसकी चर्चा हम एक दुसरे से करते है यदि वह काव्य रुप बनकर सबके सामने आ जाय तो हमे एक अत्यन्त ही सुखद ऐहसास देता है।
बड़े बड़ाई सब करे लेकिन मिलकर साथ चले तो जीवन का एक आलग ही रंग चढ़े। तो आइये हम भी कुछ कदम साथ चलने की प्रेरण लेकर एक काव्य का पाठ कर ले। जय हिन्द
लेखक एवं प्रेषकः- अमर नाथ साहु