आशा की किरण

आशा की किरण

आशा के किरण

जिन्दगी मे आगे बढ़ने के लिए आशा शब्द का बड़ा ही महत्व होता है। गुणकारी व्यक्ति को यदि आशा की किरण दिख जाय तो ओ संभावना के प्रती अपने आशा को आश्वस्त करने मे जुट जाते है। समय के साथ सकारात्मक परिवर्तन आशा को मजबुती देने लगता है। कार्य के प्रति मानसिक दृढ़ता बढ़ने लगती है। चर्चा के बिषय मे इस बातों की प्रधानता बढ़ने लगती है जिससे की सही जानकारी को जुटाते हुए कार्य के प्रति लगाव को गहराई मिलता रहे।

        कुछ नया करने का जजबा रखने बाले लोग इस गुण के धनी होते है, जिससे उनके जीवन मे निराशा का स्थान बहुत कम या नही होता है। खुद के प्रती निष्ठा व्यक्ति के कार्य बल मे गुणात्मक सुधार देते हुए सफलता के सोपान को गढ़ते जाता है। इसके लिए उनकी अपनी ही एक गती होती है जो अशा के सुदृढ़ होते किरण से नियंत्रित होतें है। समय प्रवंधन का भाव स्वयं ही समावेसित होने लगता है क्योकि एक मंजिल, एक रास्ता, एक ध्यान और एक आग्रह बनने लगता है।

        भीड़ का हिस्सा बनने वाले लोग तीक्ष्ण बुद्दी के होते हुए भी अपनी कुशलता के प्रती आशावान नही होते है क्योकि आशा के किरण को एक अभ्यास, व्यवहार तथा अनुभव के द्वारा ही जाना जा सकता है। इस कार्य मे लग रहा बुद्दी हमारे मानसिक विश्लेषण की क्षमता को कई गुणा बढ़ाते हुए कार्य कुशलता के प्रती संकल्प शक्ति को बढ़ा देता है।

       समय के कसौटी पर खड़ा मानव को आगे निकलने के लिए यही तो एक निशाना होता है जिसके सहारे मंजिल को पाना होता है। हमें तो समय के साथ स्वभाव के अनुरुप सजगता को अंगीकार करते हुए आगे बढ़ते जाना होता है। सफलता तो समय के साथ चलने लगता है क्योकि आशा की क्षीण किरण मुजबुत होने लगता है।

     जीवन तो चलता रहता है, आनंद समय के साथ आते – जाते रहते है। हमारा ध्यान बनते – बिगरते रहता है लेकिन आशा की किरण समग्र भाव के समावेसित करते हुए एक दिशायुक्त कार्य बल को सशक्त करता है साथ ही आगे बढ़ते हुए हमे एक बिशिष्ट व्यक्ति के रुप मे स्थापित भी कर देता है। जो जीव कल्याण के लिए हमेशा से सराहनीय रहा है।

इस गुण के धनी लोगो को चाहिए की समाज के कल्यानार्थ कार्य संपादन करते हुए अपने जीवन लक्ष्य को साधित करे जिससे की उनकी यश और कृति का योग हमेशा उसके लिए खुशी का प्रयाय बना रहे।

लेखक एवं प्रेषकः अमर नाथ साहु

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By sneha

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