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मकर संक्रांति

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति मकर संक्रांति हिन्दी कलैण्डर के अनुसार पौष मास के दिन सुर्य धनु राशि से मकर राशि मे प्रवेश करती है। इसके साथ ही खरमास समप्त हो जाता है। यहीं से शित ऋतु का अंत और वसंत ऋतु की शुरुआत होती है। इस समय खेतों मे फसल की कटाई शुरु हो जाती है। किसानों के लिए यह बड़ा ही सुखद अनुभुति लेकर आता है। यहां से दिन धिरे-धिरे लम्बी होनी लगेगी और रात छोटी होने लगेगी। मकर संक्रांति का दिन 14 जनवरी को परता है। यही समय ग्रिगेरियन कलेण्डर के हिसाव से लिप ईयर मे 15 जनवरी को परता…
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बिता साल

बिता साल

पुराना साल     पुरने साल के यादों के खजाने से हमें मोती चुनने होते है जिससे की हमारे नवीन संकल्पना की सशक्तता को बल मिल सके। ह्में अपनी कमजोरी पर नियंत्रण करना होता है जिससे की हम पहले से ज्यादा ताकत के साथ परिस्थिती से मुकाबला कर सके। बदलते साल के साथ वही त्योहार और मौसम हमे फिर से हमे मिलते है हमारी कोशिश होनी चाहिए की हमारी उत्साह पहले से उन्नत हो। पुर्व की गलती न दोहराई जाय।       घटनाओं से जुझता हुआ जब हम साल के अंत मे पहुँचते है तो हमे एक तसल्ली मिलती है कि आने…
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चुनाव

चुनाव

चुनाव करने की कला जीवन मे चुनाव का बड़ा महत्व होता है। चुनाव ऐसे समय आता है जब हमारा मन तन जागृत रहता है। हमारे अंदर उत्साह का एक वेग रहता है जो हमारे कार्य उर्जा द्वारा सम्पादित किया जाना होता है। हमारा समर्थ हमें आगे चलने के लिए प्रेरित करता है। ऐसे ही समय चुनाव आता है। दर असल चुनाव हमारे अस्थिर नजरीया के कारण पैदा होता है। अस्थिर नजरिया का कारण उपयुक्त जानकारी का नही होना होता है। यदि समस्त जानकारी उपलब्ध हो जाय तो एक नजरिया बन ही जाती है। एक नजरिया बनने के बाद कार्य को…
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टांगीनाथ धाम

टांगीनाथ धाम

Tanginath Dham टांगीनाथ धाम टांगीनाथ धाम झारखण्ड राज्य के गुमला शहर के दक्षिण में 75 किलोमीटर दुर एक पहाड़ पर स्थित है। यह धाम डुमरी बलॉक से 8 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। मंदिर लगभग 300 फीट के पहाड़ की ऊँचाई पर अवस्थित है। यहां पर पहुँचने के लिए लगभग 132 सिढ़ियां चढ़नी परती है। मुख्य मंदिर स्थल मंदिर परिसर के पुरव मे स्थित है, जिसका मुख्य द्वार पश्चिम की तरफ है। यहां पर सामने से जाने के लिए स्टील का घेरा को लगाया गया है। मुख्य मंदिर के गर्भ गृह मे प्रवेश करने के बाद वहां पर एक…
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वक्त का मुसाफिर

वक्त का मुसाफिर

Wakt ka Musaphir वक्त के मुसाफिर वैज्ञानिक आधार जब कोई व्यक्ति समय के साथ आगे बढ़ता है तो उसके ऊपर बहुत सारे कारक एक साथ कार्य करतें है। यदि कार्य करने वाले को इस कारक का ज्ञान नही है और उसे आगे जाना है तो वह मुसाफिर बन जाता है। यानि समय के साथ आने वाले परिवर्तन को वह अपने कार्य क्षमता और समझ बुझ के साथ हल करते हुए आगे बढ़ेगा। उसका उदेश्य पुरा होगा या नही उस व्यक्ति को मालूम नही है क्योकि पहले से कुछ ज्ञात नही है। इसके लिए उस व्यक्ति के द्वारा किया गया प्रयास…
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मेंहदी और प्यार

मेंहदी और प्यार

मेहदी और प्यार मेहदी और प्यार मेहदी के रंग अपनी खुबसुरती के लिए जाना जाता है। यह मनोभाव के आंतरिक भाव को उकेरता है। मेहदी को लगाने के बाद ततकालिक तैर पे जो बदलाव दिखता है वह हमारी वर्तमान सोच को बदल देता है। हमारे सोचने के पहले के व्यवहार मे थोड़ा बदलाव जाता है। जिससे प्यार के प्रति व्यवहार और उत्साह दोनो बढ़ जाता है। मेहदी को लोग रश्म के तैर पर भी इस्तेमाल करने लगे है जिससे की समान्य अवस्था से मन को प्यार के तरफ उत्साहित किया जा सके। इस समय होने वाले मनोरंजन हमारे खुशी को…
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प्यार के उपहार

प्यार के उपहार

प्यार के उपहार प्यार की उपहार     प्यार भावपुर्ण अभिव्यक्ति का माध्यम है जिसमे एक दुसरे के प्रति निष्ठावान होते हुए हम जीवन को उल्लासपुर्ण माहौल मे जीने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते है। जब किसी को प्रसन्नचित करना चाहते है तो उसके खुशी का ख्याल करते है और भावभंगिमा बनाकर उसे प्रभावित करने की कोशिश करते है जिससे की उसके मनोभाव बदल जाते है। ऐसा करते समय हमारी तैयारी खास तरह की होती है जिससे उत्साह के साथ भरपुर मनोरंजन होता है। प्यार को जागृत किया जाता है जिससे की उसके मनोभाव समायोजित होकर दृढ़तापुर्ण व्यवहार के साथ एकात्मभाव…
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तेरे पनाहो में

तेरे पनाहो में

तेरी पनाहों में तेरी पनाहों में वैवाहिक जीवन को सुखमय और आनंदित बनाने के लिए आपसी समन्वय का होना जरुरी होता है जिससे की भावनात्मक लगाव का स्तर नविकृत होकर उल्लासपुर्ण बनी रहे। व्यवहारिक जीवन मे होने वाले उथल-पुथल को झेलते हुए जो तनाव पैदा होता है उसका समायोजन होना भी जरुरी होता है। इस समायोजन के बाद सुकून के पल का एहसास होता है। फिर मन एक स्वतंत्र विचार को जन्म देता है जो व्यवहारिक जीवन को और अच्छा बनाने के लिए उत्साह के स्तर को बढ़ा देता है। यह प्रक्रिया स्वतः स्फुर्त गति से चलते रहना होता है…
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क्यों निकलते है अश्क मेरे

क्यों निकलते है अश्क मेरे

क्यों निकलते है अश्क मेरे क्यों निकलते है अश्क मेरे   जीवन को संतुलन की अवस्था मे जीना होता है जिससे की जीवन का भरपुर आनन्द उठाया जा सके। इसके लिए हमे सतत प्रयास करने होते है। इसी प्रयास के तरह हमे विभिन्न प्रकार के प्रयोजनो से गुजरना होता है। इसी प्रयोजनो के दौरान हमारी कार्य अवलोकन और कार्य क्षमता के अनुरुप हमे कई प्रकार के कठीनाईयों का सामना करना परता है। इसीका सामना करते हुए हमे जो अनुभव मिलते है उन्ही मे से कुछ अनुभव को हम रेखांकित करते है जिससे की जीवन संधर्ष के दौरान दुवारा इस तरह…
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भोगवादी समाज का दर्द

भोगवादी समाज का दर्द

भोगवादी समाज का दर्द विज्ञान ने हमारे सोंच के मूल अवधारणा को बदल दिया है, जिसके कारण हमारी सोच भौतिकतावादी होकर रह गई है। इसी भौतिकतावादी सोंच के कारण हमारे अंदर भगवान के द्वारा गलत करने पर दंड देने की सोंच मे परिवर्तन आ गया है जिसके कारण आज समाज का परिदृष्य बदल गया है। अपराध करने वाले को व्यवस्था का डर होता है जबकि पहले भगवान का भी डर होता था। आज भी कुछ ऐसे लोग है जो भगवान की प्रभुसत्ता को स्वीकारते है और उसके अनुरुप आचरण भी करते है जससे समाज के अंदर गुणता बनी हुई है।…
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