sneha

145 Posts
बिर्रो

बिर्रो

बिर्रो उमंग उल्लास मे बितता जीवन जब एक नये दौर मे पहुँचता है, तो उसका सुखद एहसास गहरा तथा अति व्यक्तिगत होता है। इस नाजुकता को समझ पाना आसान नही है। इसका बर्णन तो काव्य रुप मे ही किया जा सकता है, जिससे की इसकी प्रखरता का अनुमान लगाया जा सके। आजकल बहुत कम लोग होते है, जो ऐसी उड़ान का आनन्द लेना पसंद करते है। अधिकांश लोग तो सोर सरावा मे इस तरह खो जाते है कि उनको वास्तविकता का एहसास ही नही होता है। वह लगतार ही यह खोजता रहता है कि आखिर इस छनिक एहसास का मुल…
Read More
प्यारी भाभी

प्यारी भाभी

देवर भाभी का आधुनिक समाज मे रिस्ते मे तल्खी देखने को मिलती है। बिज्ञान के विकाश के साथ ही बिश्वास की अवधारणा भी बदलने लगा है। रामायण काल के सामाज मे भाभी को मां का दर्जा दिया जाता था। लेकिन महाभारत मे इसकी परिभाषा बदल गई। द्रौपदी पाँच भाई से शादी करके इस रिस्तो को नया मुकाम दिया। आधुनिक काल मे मानव समाज के नित्य बदलते व्यवहार से नयी नयी सोच के साथ रिस्तो को टुटते बनते देखते है। लेकिन आज भी एक स्वस्थ्य समाज मे देवर भाभी के अनेखे रिस्ते देखने को मिलता है। परिवार को राष्ट्र के विकाश…
Read More
पहला सोमबारी

पहला सोमबारी

पहला सोमबारी यह बिशेष पर्व सावन की शुरुआत के साथ हर सोमबार को शिव आराधना के शुरु होता है। सावन के समय होने वाले मौसम मे बदलाव के कारण जो बिकार मानव शरीर में पैदा होता है उसे व्यवस्थित करने के लिए यह पर्व बड़ा ही उत्तम है। साधना से शक्ति आती है और शक्ति ही भक्ति का मुलभाव होता है। मन को शिव की गाथा के साथ चिंतन मनन का दैर चलता रहता है। एक भाव मे रहकर मन को स्थिर रखना एक कलात्मक योग है। यहि साधना हमे जीवन मे बिकास के मार्ग को खोलता है। जीवन मे…
Read More
नया साल

नया साल

नया साल नये साल मे आने वाला पर्व त्योहार पुनः हमें जगाता है, हम जिस भाव और व्यवस्था के साथ पिछले वर्ष मनाये थे उससे बेहतर करने की उम्मीद रखते है जिससे की हमारी उन्नती को उच्च स्थान मिले। समय के साथ हमारी शारिरीक अवस्था भी बदलती है जिससे हमारे अनुभव मे पुर्वेत्तर बिकाश होता है। बिकाश की धारा में निखार लाने की हमारी कोशीश रहती है। यश कृती समय के साथ बिस्तार की पराकाष्ठा को प्राप्त हो इसके लिए बेहतर प्रयत्न करते है। इस गतिशील जीवन को छोटे छोटे टुकड़े मे बांटकर हम खुद को बेहतर करने की कोशीश…
Read More
नफरत का फल

नफरत का फल

नफरत का फल नफरत व्यक्ति को अंधा बना देता है, व्यक्ति की मानसिक स्थिति पुरी तरह बदल जाती है। वह अपनी बैचारिक सिमा के बाहर नही जा पाता है। उस सिमा के बाहर जाकर सोचना उसके लिए अत्यंत दुखद होता है। दुख के इस बंधन के पार जाकर सोचना तथा उसका निदान निकालना नही चाहता है क्योकि बह अपनी बर्तमान सोच को ही अंतिम सोच मान लेता है। व्यक्ति कभी पुरा घटना चक्र को अनजान बनकर नही सोचता है, बल्कि बह उसका हिस्सा बनकर रह जाता है। आनेवाली समस्या के जानकर होने के बाबजुद बह अपनी सही हल नही निकाल…
Read More
दोस्ती का सफर- श्रधांजली

दोस्ती का सफर- श्रधांजली

यह संकलन हमारी दोस्ती सफर के अंतहीन कहानी को कहता एक संकलन है जिसका यहां बर्णन है। दोस्ती की यादगार पल को सावित करने वाली कविता एक अनुपम उपायेदान है। दोस्ती को श्रधांजली देना एक कठिन पल है क्योकि उनका साथ कई अनसुलझे पहलु को सही रुप से देखने तथा उसपर बीचार करने के कुशल अनुरोध जो मिलता था वह अनुपम संयोग होता था। आज ओ पर नही है पर उनता याद हमे उनकी कमी को दर्शाता है। जिसका निरुपन यहां किया जा रहा है। कविता के रुप मे यहां हम अपना बिचार कविता के रुप मे रख रहे है।…
Read More
दोस्त को  श्रधांजली

दोस्त को श्रधांजली

दोस्त की श्रधांजली दोस्त आपकी सम्पुर्ण यादो को पुर्ण रुप से  संकलन करना संभव नही है लेकिन आपके यादो को एक रुप देकर आपनो तक संदेशा पहुंचाना जरुरी है। ताकि सबके भाव एक दुसरे मे समाहित हो जाये। हमारे द्वारा यह काव्य संकलन इसीमे किया गया एक छोटा सा प्रयास है। दोस्त के खालीपन को भरना संभव नही है। क्योकि बिता कल वापस नही आता बस आती है तो जाने बाले की यादे। ये ओ दौलत है जो एक दोस्त को एक-दुसरे से अलग करता है। यादो का भंडाक दोस्ती की सौगात होती है। जिसमे हम बिते पल को फिर…
Read More
दुसरी सोमवारी

दुसरी सोमवारी

दुसरी सोमवारी परम आराध्य  भगवान शिव के मगलवेला के आराधक की आज दुसरी सोमबारी है। आज भक्त का ध्यान गहरा है। प्रभु ज्ञान के अथाह सागर मे गोते लगाकर कुछ बिचार ढ़ुढ लाया हुँ। भक्तो के बिच ये बिचार को प्रसाद स्वरुप बांट रहा हुँ। आप आपना कृपा दृष्टि लगातार भक्त पर बनये रखना।        भगवान शिव की लागातर आराधना से भक्त को भगवान के परम धाम तक पहुँचने का प्रयास सुलभ हो जाता है। उनकी भक्ति को समझना कठिन है लेकिन यह सगम मार्ग सबको प्राप्त हो । सावन का ये भक्तिमय पर्व हमे नित्य के समझ के साथ…
Read More
दुर्गा माता की आरती

दुर्गा माता की आरती

दुर्गा माता की आरती  नवरात्रा के शुरु होते ही माता दुर्गा की बिधिवत पुजा आ।रम्भ हो जाती है। माता की प्रतिमा के स्थापना के साथ ही प्रतिमा मे प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। प्रत्येक दिन सुवह-शाम माता की आरती की जाती है। माता की आरती कई प्रकार से गायी जाती है। आरती मे माता का गुणगाण करते है। माता के दिव्य रुप को साक्षात सामने होने का एहसास करते है। ऐसा मानते हुए की माता मेरे सामने खड़ी है, तथा माता की आरती उतार रहे है। भाव विहल मन जो महसूस करता है, उसको शब्द रुप मे बर्णन करना बहुत…
Read More
दिदी को 26 वाँ मैरेज एनिवर्शरी

दिदी को 26 वाँ मैरेज एनिवर्शरी

दिदी का 26 वाँ मैरेज-एनिवर्शरी लेख जीवन के आधी पड़ाव पर यदि जीवनसाथी साथ छोड़ जाये तो आने वाले दिन का अनुमान लगाना कठीन होता है। समय के साथ जीने की काल को सिखना पड़ता है। उपलब्ध संसाधन का उपयोग करते हुए जीवन निर्वाह करना बहुत ही कठीन होता है। जीवनसाथी के गुजरने के बाद के पहले सादी के साल गिरह पर अपने बेदना को भरोसा से सवांरती एक नारी की आपबीती की कहानी को कहता यह कविता हमारे अंतःकरण को छु जाता है। मानव को यदि भविश्य का ज्ञान होता तो वह कोई न कोई जतन जरुर कर लेता…
Read More
error: Content is protected !!