धातु के रुप मे लोहा के अविष्कार के साथ मानव जीवन मे बहुत बड़ा बदलाव आया। मानव के बिकाश की पुरी दिशा ही बदल गई। भाव की प्रधानता से मानव के बिकाश की यात्रा का जो आज इस आवधारणा को बल देने के लिए हम उस दिव्य शक्ति को याद करते है जिसने इसका ज्ञान मानव को दिया।
निर्माण कार्य के किसी भी कार्य को सफलता पुर्वक करने के लिए देव लोक मे भगवान विश्वकर्मा को याद किया जाता है। मानव तन को ये शक्ति देव रुप बिश्वकर्मा के रुप मे प्राप्त हुआ है। इनके आराधना से कार्य की गुणता बनी रहती है। चित मन क एक बार कर्य के तरफ यदी लगा दिया जाय तो फिर दुसरी तरफ मन नही भटकता है जिससे हानी की समभावना नही रहती है।
भौतिक सुख के साधन के निर्माता भगवान विश्वकर्मा की पुजा पुरे भक्ति भाव के साथ किया जाता है। भक्त की पुरी निष्ठा भगवान पर रहती है जिससे की ध्यान की एकाग्रता को शक्तिशाली किया जा सके। कार्य मे व्यवधान का होना बेहद अशुभ होता है। इसलिए भगवान हर निर्मण कार्य पर याद किये जाते है। बिशेषकर वहां जहां पर लोहा का प्रयोग हो जो गतिमान हो।
लेखक एवं प्रेषकः- अमर नाथ साहु
1. आरती लक्ष्मी जी नया आरती 2021 है जो हमारे माता के प्रति आगाध श्रद्धा को व्यक्त करता है, दिव्य रुप को दर्शाता यह नया आरती का गान करें।
2. दुर्गा माता की आरती नया आरती 2021 माता के दिव्य रुप के हृदय के पास लाकर माता की आराधना को व्यक्त करता आरती का गान जरुर करें।
3. करवा चौथ का पर्व हम पुरी श्रद्दा एवं विश्वास के साथ मनाते है इस काव्य लेख को जुरुर देखे जिससे की आपका पर्व के प्रती निष्ठा मे प्रगाढ़ता आये।
4. कृष्णाष्टमी पर्व मे भगवान कृष्ण की दिव्य दर्शन की सिख को समाहित यह काव्य लेख आज के संदर्भ मे जोड़कर कहा गया है।
4. तीज का पर्व भारत मे परमपरा के साथ मनाया जाने वाला पर्व है इसके बिभिन्न रुप का काव्य वर्णन देखें।
5. विश्वकर्मा पुजा हमारी भक्ति भाव सतत रुप है जिससे हम नयेपन की कामना करते है, इस भाव के दर्शाता काव्य लेख देंखें।