दुर्गा माता की आरती
नवरात्रा के शुरु होते ही माता दुर्गा की बिधिवत पुजा आ।रम्भ हो जाती है। माता की प्रतिमा के स्थापना के साथ ही प्रतिमा मे प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। प्रत्येक दिन सुवह-शाम माता की आरती की जाती है। माता की आरती कई प्रकार से गायी जाती है। आरती मे माता का गुणगाण करते है। माता के दिव्य रुप को साक्षात सामने होने का एहसास करते है। ऐसा मानते हुए की माता मेरे सामने खड़ी है, तथा माता की आरती उतार रहे है। भाव विहल मन जो महसूस करता है, उसको शब्द रुप मे बर्णन करना बहुत कठिन है। फिर भी भाव को काव्य रुप मे प्रकट करके माता की आरती उतारतें है जिससे सात्विक भाव की प्रकटीकरण होती है और मनोयोग की प्राप्ती के साथ सारे मनोकामना की पुर्ण होने का गुण ग्रहीता होने लगता है।
किसी भी व्यक्ति को यदि हम याद करते है, तो उसके किये गये कार्य को याद करते है। हमारे उनके बिच के रिस्ते का बर्णन करते है, तथा लाभ-हानि की व्याख्या करते है। इससे हमारे अंदर उसके पुरे चरित्रीक गुण का साकारात्मक प्रभाव परता है। ऐसा होते हुए उनके चरित्र के अनुरुप हमारा प्रतिक्रिया भी जाहीर होता है, यानी मानो वह हमारे सामने हो। यहां हम इसी भाव को ध्याण मे रखते है। माता के अतिविश्ट गुण, उनके उपकार, उनके दिव्यता, तथा हम अपनी कामना को ध्यान करते है। ऐसा होने पर माता को हम प्रत्यक्ष रुप से सामने पाते है।
यह नया 2021 का दुर्गा माता की आरती को हम आपके बिच रख रहें है। जब आप माता के सामने इस शब्द का उच्चारण करते हुए आरती करेंगे तो आपको माता के दिव्य रुप का साक्षात दर्शन का एहसास होगा। इसमे आपके माता के प्रति आगाध प्रेम को माता तक पहुँचाने का पुरा ख्याल रखा गया है। इसमे माता के खास तथ्य को ध्याण मे रखकर वर्ण किया रखा गया है जिससे मनोभाव के दुर्गुण के दुर करने का योग बनता है।
इस नविन दुर्गा माता की आरती से आपको दुर्गा माता का आशिर्वाद प्राप्त हो, इसकी हम दुर्गा माता से कामना करते है। करुणामयी माता को जो भक्त दिल से याद करता है माता उनकी हर ईच्छा पुरी करते है। भक्त वत्सल माता भक्त के भाव मे खो जाते है। आपको माता की आरती से आपका समग्र कल्याण हो ऐसी कामना हम करते है। जय मां दुर्गाे
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लेखक एवं प्रेषकः- अमर नाथ साहु
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