छठ माई की आरती
छठ मईया की आरती हमारी चेतना को जगाकर हमारे भाव को स्पष्ट रुप से चित्रण करती है। जिससे माता के साक्षात दर्शन का भान होता है। दिव्य रुप माता को अपने बिचार मे उतारना एक कठीन कार्य है। हमारे भाव की अभिव्यक्ति से एक आभा मंडल बनता है, जो हमारे चारो ओर एक बृत बनाकर हमे उर्जावान करता है। हमारे द्वारा उच्चारित शब्द हमे नियंत्रित करतें है। हमारी शब्दिक उच्च उर्जा शक्ति का जब शब्द से संचार होता है, तो दिव्य रुप माँ को अपने भक्त की पुकार सुनाई पड़ती है। क्योकि इस आरती मे माँ के सम्पुर्ण भाव का वर्णन है। कठीन साधना से गुजरता भक्त माता के प्रति अपार श्रद्धा का भाव रखता है। भाव विहल भक्त माता को भाव पुर्ण मुद्रा से सिर्फ देखता रहता है। माता उनके भाव को समझ कर यथा फलाफल देती है। यदि हम आरती का गायन करते है, तो हमारी चेतना जागृत होती है। इसके जागरण का श्रोत हमारा अंतः करण से निकला भाव पुर्ण शब्द होता है। शब्द की उर्जा भक्ति के अनुरुप बदलती है। भक्ति शरीर को पुर्ण प्राकाशवान कर देता है। यह संचरिता उर्जा रोगी को भी निरोग कर देता है। इसलिए माता के आरती का गायन पुरे भक्ति भाव के साथ करना चाहिए। हाथ मे आरती लेकर समुह गायन भी कर सकते है। आपके ध्यान की रेखा आपके अंदर बनती है, चाहे आँखे खुली हो या बंद आपका ध्यान एकाग्र होना चाहिए। हमारी आस्था और हमारा बिश्वास ओ हथियार है, जिससे हम समस्त रोगग्रस्त भाव को काट सकते है। जब आरती की तैयारी हो रही होती है, तो भक्त भाव युक्त होकर अपने को सक्रिये करने लग जाता है। इसके बाद जब वह पुर्ण होकर आरती के वाचन को तैयार होता है, तब उसका मन सर्वोच्च आोरोहन कर रहा होता है। गायन के समय ऐसा लगाता है, की माता मेरे समने खड़ी है और हम उनकी आरती उतार रहे है। स्वयं मे यदि कोई अवगुण दिख जाये तो उनके निराकरण का सकल्प स्वयं ही बन जाता है। जिसकी पुर्णता का आभास जब भक्त को होता है तो वह अपनी प्रणाम की मुद्रा को बार-2 दोहराकर माता के प्रति अपना आभार व्यक्त करता है ।
कार्य के साथ व्यवहार का होना जरुरी है जिससे की हमरी अंतरिक शक्ति का जागरण हो। युँ तो पुरा पुजा प्रकरण ही भक्त की शक्ति को जगाता रहता है। लेकिन आरती का अपना एक अलग महत्व है। आरती के बाद हमरी भाव को बिराम लगने लगता है। जो एक स्थायित्व को पाकर अपने कर्म पथ को रोशन होने का भाव पाता है। भक्त को जब लगता है, कि उसका खराव दिन चल रहा है, तो वह माता को याद करता है, जिसके बाद वह स्वयं ही उर्जा से भर जाता है। यह भक्ति का प्रभाव ही है, जो निगेटिव उर्जा का नाश करता है।
आस्था और बिश्वास का अटुट सम्बन्ध होता है। इसको व्यक्त करने के बहुत सारे तरीके हो सकते है। चुनाव आपको करना होता है कि कौन सा तरीका आपके योग्य है। मुझे यह पुरा विश्वास है कि आपके मनोकामना की पुर्ति मे ये आरती खरा उतरेगा। छठी मईया के पर्व को मनाने का एक अनुठा योग है जो समय के साथ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। आस्था और बिश्वास मे निखार भी आया है। छठी मईया पर्व के शुरुआत के बारे बहुत सारी अटकलें लगायी जाती है लेकिन किसी को प्रमाणिक मानने का मजबुत आधार नही है। यह पर्व परिवारिक रुप से मनाया जाता है तथा पिढ़ी दर पिढ़ी चलता चला जाता है। कुछ लोग इस पर्व को अपनी किसी खास कार्य के पुर्ति के लिये दुआ करते है जिसके पुर्ण होने पर नियत समय तक छठ पुजा करके छठ ब्रत से मुक्त हो जाते है। कुछ लोग किसी असाध्य रोग को ठिक करने के लिये छठी माता के व्रत को करते है, तो कुछ लोग पुत्र प्राप्ति के लिये छठ के कठीन साधना को धारण करते है। कारण जो भी हो भारतीये जनमानस मे ये पर्व पुरे आस्था के साथ मनाया जाता है।
आस्था के रुप के देखें तो आरती गायन की परम्परा नही है, क्योकी इसके भाव को अबतक सही शब्द नही मिलना हो सकता है। यदि आरती के गायन से आपको संतुष्टी का भाव आता है तो यह सही है। छठी मईया भक्त के भाव पुर्ण मुद्रा से ज्याद संतुष्ट होती है ऐसा मेरा विश्वास है
हे छठ माई आपका भक्त आपको याद करके आपकी आरती उतार रहा है उनकी हर मनोकामना को पुरा करना। यह आरती सुनने सुनाने वाले को भी कल्याण हो इसकी कामना हम माता से करते है। दिव्य रुप छठी मईया की कृपा हम भक्तो पर सदा बनी रहे। भक्त की हर कामना पुर्ण हो। आपका भक्त भक्ति की पराकाष्ठा तक पहुँचे ऐसी शक्ति उन्हे देना। हे माँ हम भक्तो का ख्याल रखना । जय छठी मईया.
नोटः- यदि यह आरती अच्छा लगे तो अपनो तक इसके लिंक को जरुर भेजे, जिससे की उनको भी छठी मईया का बिशेष आशिर्वाद प्राप्त हो सके।
लेखक एवं प्रषकः अमर नाथ साहु
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