


गांधी जयंती
2 अक्टुबर को गांधी ज्यंती मनाई जाती है क्योकि इसी दिन गांधी जी का जन्म हुआ था। गांधी एक विचार का प्रवाह है जो किसी भी मुश्किल कार्य को हल करने के लिए जन जानगरण के साथ एक स्वास्थ्य विचार का सम्प्रेषण करने को प्रेरित करता है। स्वार्थ का दायरा संकिर्ण होता है। इसमे जीने वाले लोगो को सदा डर बना रहता है क्योकि उसके सिमित दारये मे सुख खोजने के कारण वह कुंठित होकर रह जाता है। इसके कारण वह तरह – तरह के तरकीव लगाने लगता है। जिसके बाद वह खुद को असहज महसुस करने लगता है। गांधी के विचार सत्य के करीव पहुंचकर सबको ये सदेश पहुंँचाने की क्रिया से जुड़ा हुआ है। जब सत्य की पराकाष्ठा अधिक होती है तो लोभी लालची और सुख भोगी अपने आप ही अलग हो जाते है।
इसी दिन विश्व शंती दिवस भी मनाया जाता है क्योकि गांधी जी ने सत्य और अहिसा को अपने विचार मे सामावेश किये। जिसके कारण असत्य बातो का विरोध होना शुरु हो गया। इसकी प्रखर शुरुआत हर स्तर पर होने लगी। जिसकी समा्र्थ जैसी थी वह वही से विरोध करने लगा। विरोध की इस लहर को दावाना मुश्किल हो गाय था। गांधी के विचार क्राति का वहुत वड़ा प्रतयक्ष प्रभाव देखने को नही मिलता है, लेकिन समय -समय पर किये गये शांतिपुर्ण विरोध एक जनजागरण का कार्य किया। विवेकी मानव को यदी सत्यता का ज्ञान हो जाता है तो वह स्वतः ही सक्रिय हो जाता है और अपने हिसाब से अपने विरोध के भाव को जागृत करने लगता है, जिसके बाद विरोध को दावना मुश्किल हो जाता है।
विरोधियो ने हमारे साहित्य, इतिहास और समाज के अंतर की व्यवहार शैली तक को प्रभावित करने लगे जिससे की लोगो को लगे की जो प्रयास किये जा रहे है वही सर्वश्रेष्ठ और यथेष्ट है। जबकि सच्चाई इससे कोशो दुर था। सच्चाई के एहसास होने के वाद लोगो को एकात्म विचार से जो आवाज निकलती है वह एक क्राती का रुप ले लेती है। यही स्वरुप एक उच्च स्तर की तैयारी का स्थान लेने लगता है। इसलिए पहले लोगो को विचार के रुप से पंगु बनाने की क्रिया चलती है जो लम्बे समय तक लोगो को अपने प्रभाव मे बनाये रखता है ओर गुलाम की जीवन जीने को मजबुर हो जाते है। इसमे गांधी के विचार एक टटस्थ व्यक्ति के निर्माण मे अहम भूमिका निभाता है।
गांधी जयंती हमे जागृत रहने के साथ- साथ सजग और सहज रहने के गुण को अपनाने के लिए प्रेरित करता है। यह समझाता है कि जहां तक आप कुछ कर सकते हो करो न की स्वयं को असहय मानकर कोशने लगो जिससे की जीवन ही मुश्किल लगने लगे। जीवन जीने की एक उत्तम शौली को विचार के माध्यम से समाज मे रखने वाले को आज भी उच्च स्थान दिया जाता है। परिस्थिती आज जैसे भी हो गांधी के विचार आज भी उतना ही प्रसांगिक है जितना पहले था। स्वाथी मानव के विरुध स्वयं को उर्जावान बनाने के लिए बिचार की क्राति एक जुरुरी उपाय है।
लेखक एवं प्रेषकः अमर नाथ साहु
संवंधित लेख को जरुर पढ़ेः
- वक्त का मुस्फिर खुद को उर्जावान करते हुए हर मुस्किल को पार कर जाता है।
- करुण से भरा मन कहता है क्यो निकलते है अश्क मेरे तो निदान नकलता ही है।
- जीत की समझ से एक प्रेरणा जागृत होता है जो हमे ताकत देता है।
- जीत के राही को आगे जाने के लिए संसय रहीत रहना चाहिेए।
- शिक्षा दान एक महा दान है जिससे समाज उन्नत होता है।