एक पुकार
21 वीं सदी मे समाज के बढ़ते सुख के साधन के साथ चुनाव की समस्यायें भी बड़ी हो गई है। जीवन की वास्तविकता से सत्य को खोजता मानव सुखी और संतुष्ट होना चाहता है, लेकिन उसके पास जो, स्रर्वश्रेष्ठ आरोहन करने की मनोभाव है, उससे एक पुकार बनी रहती है। इस पुकार के आंतरिक हलचल को बाहर के व्यवस्था से पुर्ण हुआ जाना जरुरी है।
तनाव रहीत मन मस्त होता है। मस्त मन को बदलाव अच्छा लगता है। वदलाव के साथ जो खुशी का तरंग आता है, उसको विस्तार की जरुरत होती है। विस्तार के साथ सहयोग और विश्वास भी चाहिए। यौवन की कसक के साथ श्रिंगार का बड़ा ही अनोखा संबंध होता है। यह मन के आंतरिक संवाद को बड़े वारीके के साथ उकड़ता है। समझने वाले के लिए तो एक वहार की तरह होती है। श्रिंगार के बाद संवाद का स्थान होता है। संवाद से संयोग का निर्माण होता है। संयोग मे एक सपना जन्म ले लेता है, जो एक साजन की प्रकृति की समझ को जन्म देता है।
इस समझ के साथ भरोसा और वहां से अधिकार की शुरुआत हो जाती है। अधिकार के साथ ही जीवन को गति मिलने लगती है और फिर, आंतरिक हलचल को शांती के लिए एक पुकार होती है, जिसे समझना एक कलात्मक योग है। जो इसके धनी है, उसका जीवन सुखी है। जिसकी पहुँच जहां तक है, वह वहां तक आनन्दित जीवन को पाकर आगे बढ़ता जाता है।
आनन्द मे कमी एक दर्द बनता है जो कई रुपों मे प्रकट होता है। तुनिक मिजाजी, तनाव ग्रस्त रहना, सहनशक्ति का कम होना, काम से बिरक्ति, उदासी जैसे कई मानसिक और शारीरिक विकार भी बनते है। लेकिन एक इंतजार रहता है, जिसकी पुकार से सबकुछ सही होने की उम्मीद रहती है। इसी उम्मीद मे खुशी के बीज अंकुरित होते रहते है। इसी खुशी के साथ जब जुड़ाव होता है, तो आपसी बन्धन बड़ा ही मजबूत हो जाता है। फिर चाहत का बनना और खुश होने की प्रक्रिया से जीवन मे नई उजाला का आगाज होता है।
जीवन की बहुत सारी यादें ऐसी होती है जिसके ओर अगर चिंतन जाता है, तो मनःपटल पर एक खुशी की झलक दैर जाती है, और फिर एक पुकार बनने लगती है, की काश ओ दिन फिर आ जाता, और पुरानी यादें एक नयी खुशी लेकर आती। चाहत के इन्ही भावों से एक पुकार तो बनी रहती है, जो गतिमान जीवन को एक उतकृष्टता प्रदान करता है, जो विकाशील समाज के लिए एक संदेशवाहक भी है।
पुकारा है तो, सराहेंगे, चाहेंगे, निवाहेंगे। दर्द की हर पुकार को खुशी बनायेगे।।
हर सिद्दत से आगे बढ़ते जायेंगे। है तमन्ना इतनी की तेरे हर पुकार पे मुस्कूरायेंगे।।
लेखक एवं प्रेषकः- अमर नाथ साहु
- मुस्कान और थकानः हर मुस्कान की किमत होती है जिसे इसकी पहचान होती है।
- सहयोग और संतुष्टी को निभाना होगा मुस्किल मे आगे जाना होगा।
- आनंद के मोतीः को जीवन मे संयोग से चुनचुन कर संयोना है फिर कहां रोना है।
- मेहदी की मुस्कानः आंतरिक खुशी बाहर की शान देख जीया हर्शाये मन को मिले सुकुन और आराम।
- Pyara Gulab है अभिव्यक्ति माध्यम जिसे समझने देना होता है। इसके भाव को भी समझना होता है।
- धुंघट की आरजू से जीवन के चुनौती को पार जाने के लिए आरने ते प्यार को समझना होता है।