प्रेम

घुंघट की आरजू

घुंघट की आरजू

घूंघट की आरजू घुंघट की मर्यादा को निभाने के लिए बहु संकल्पित होती है जिससे की कुल-खनदान की मान-मर्यादा की रक्षा हो सके। बिचार मे द्वंद्ध होने से बिखराव होता है, खुबसुरती के आकर्षण से लगाव होता है, लेकिन घुंघट के बनाव से प्रेम भरा आशीष का योग बनता है, जो परिवार के विकास के लिए जरुरी होता है। परिवार के सभी सदस्य को अपनी सीमा मे रहकर कार्य करना होता है जिससे की विकास की धारा बहती रहै। धुंघट मे लिपटी बहु की आश बड़ी होती है क्योकि उसको एक सिमित दायरे मे काम करना होता है वांकी के…
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बन्धन

बन्धन

बन्धन यह शब्द लोगो को बहुत व्यथित करता है, क्योकी यह स्वतंत्रता की धारा मे आवरोध उतपन्न करता है। लेकिन यह यदि योगपुर्ण हो तथा समय के साथ परिवर्तनशिल हो तो लाभकारी हो जाता है। मन की स्वतंत्रता यदि तन को आधार मान ले तो ब्यक्ति का पतन तय मान लेना चाहिए। मन पर बन्धन का मानसिक दवाव एक शक्तिशाली हथियार है। अपने आपको समय के धुरी से बाँधकर रखना एक कलात्मक योग है। इसका सतत पालन करना व्यक्ति को कार्य दबाव से मुक्ति के मार्ग को आसान बना देता है। समय का कार्य के साथ समायोजन जरूरी है जिससे…
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