आत्मा

तप और ज्ञान

तप और ज्ञान

तप और ज्ञान तप और ज्ञान संयम से शारीरिक नियंत्रण को समझते हुए कठिन से कठिन भाव को समझने के लिए तप करना होता है। जिससे एक स्थाई विचार के साथ संस्कार का विकास हो जाता है। इससे ज्ञान को अर्जन करने में आसानी होती है। ज्ञानी होने से ही हमारे दुख का अंत होता है। क्योंकि कठिनाई में ज्ञान हमे अगला रास्ता दिखा देता है। तप करने की प्रेरणा जगाना भी एक बहुत बड़ी उपलब्धि है क्योंकि भौतिक जीवन के सुखद एहसास के पार जाना आसान नहीं है। जाकर भी संकल्प को पूरा करना और कठिन है। इसके बाद…
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जीवन के पार चलो

जीवन के पार चलो

जीवन के पार चलो जीवन के पार देखने वाला दृष्टि पाकर व्यक्ति अहलादित हो सकता है। आन्दित हुए व्यक्ति सतमार्ग पर चलना शुरु भी कर सकता है, लेकिन उसके लक्ष्य तक पहुँचने मे आने वाली वाधा को पार जाने की शक्ति समर्थ का होना भी जरुरी है। इसका पुर्व पुर्ण ज्ञान होना संभव नही है। इसके लिए तो व्यक्ति का संकल्प शक्ति ही याचक बन सकता है। यही वो शक्ति है, जो व्यक्ति को पार जाने के लिए यथेष्ट बल को नियोजित कर बाधा से पार ले जायेगा। हमारे शरीर के अंदर बिभिन्न धटको मे बल समाहित है, जिसका यथोसमय…
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बन्धन

बन्धन

बन्धन यह शब्द लोगो को बहुत व्यथित करता है, क्योकी यह स्वतंत्रता की धारा मे आवरोध उतपन्न करता है। लेकिन यह यदि योगपुर्ण हो तथा समय के साथ परिवर्तनशिल हो तो लाभकारी हो जाता है। मन की स्वतंत्रता यदि तन को आधार मान ले तो ब्यक्ति का पतन तय मान लेना चाहिए। मन पर बन्धन का मानसिक दवाव एक शक्तिशाली हथियार है। अपने आपको समय के धुरी से बाँधकर रखना एक कलात्मक योग है। इसका सतत पालन करना व्यक्ति को कार्य दबाव से मुक्ति के मार्ग को आसान बना देता है। समय का कार्य के साथ समायोजन जरूरी है जिससे…
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