दुसरी सोमवारी

दुसरी सोमवारी
दुसरी सोमवारी

परम आराध्य  भगवान शिव के मगलवेला के आराधक की आज दुसरी सोमबारी है। आज भक्त का ध्यान गहरा है। प्रभु ज्ञान के अथाह सागर मे गोते लगाकर कुछ बिचार ढ़ुढ लाया हुँ। भक्तो के बिच ये बिचार को प्रसाद स्वरुप बांट रहा हुँ। आप आपना कृपा दृष्टि लगातार भक्त पर बनये रखना।

       भगवान शिव की लागातर आराधना से भक्त को भगवान के परम धाम तक पहुँचने का प्रयास सुलभ हो जाता है। उनकी भक्ति को समझना कठिन है लेकिन यह सगम मार्ग सबको प्राप्त हो । सावन का ये भक्तिमय पर्व हमे नित्य के समझ के साथ भक्ति के मार्ग को सुगम बना रहा है। उनके चढ़ावे मे वेलपत्र का स्थान उत्तम है। बेलपत्र की गुणता को समझकर भगवान को अर्पित होने वाले संकल्प की पराकाष्ठा को समझने की यही उचीत समय भी है। भक्ति भाव को जितना बांटा जाय उतना बढ़ता जाता है। जिससे पुरा माहौल भक्तिमय हो जाता है।

     बेलपत्र के साथ भक्ति का एक अटुट रिस्ता बंधता है। एक एक बेलपत्र से अपने ज्ञात अवगुण को दुर करने का संकल्प भगवान के पास करते है। जिससे की मार्ग मे आने वाला बाधा दुर हटकर सौभाग्य का द्वार खुले। इस भावपुर्ण भक्ति की अवस्था भगवान के शरणगत होकर करना मन को एक सशक्त संदेश देना होता है। जिससे की मन के बिचलन को नियंत्रित करना सुगम हो जाता है।

   प्रकृति का पेड़ के लिए अनुपम उपहार पत्ती ही है जो भोजन निर्माण का कार्य करता है जिससे पौधे के बिकास का सतत प्रकिया चलता रहता है। इसे अर्पित करते हुए खुद को स्वावलंबी बनने का वादा भी भगवान से करते है। शुद्ध स्वच्छ बेलपत्र भगवान को प्रिय है जिससे जीवन मे सुचिता आता है।

   कांटो से भरा जीवन की यात्रा कठीन है, प्रभु। ऐ आपका संदेश भी बेलपत्र के जरीये सहज ही मिल जाता है। इन कठीनाई के पार जाकर जीवन को आगे ले जाने के आपके संदेश को सहज स्वीकार करता हुँ। बेलपत्र के अर्पण से मेरा विवेक जाग रहा है, प्रभु। मेरा रोम रोम पुलकित हुआ जा रहा है।

   बाहर से बेल की तरह कठोर हमारा मष्तिक अंदर मे भी वेल की संरचना की तरह उलझा हुआ है। लेकिन इसके समस्त संक्रिया का निर्माण का कार्य पत्ती के भोजन से ही होता है। यह ज्ञान मुझे कार्यनुमुख कर रहा है, प्रभु।

   सुख के अधिकाधिक साधन के अलावा कर्म के मार्ग पर चलने के आपका ये संदेश अनुपम है प्रभु। मेरा ये आज का ब्रत कर्म योगी बनने का सकल्प को काफी मजबुत कर है, प्रभु। जीवन के कठीन समय मे ये भुल न जाऊं इसलिए ए बेलपत्र आपको चढ़ाकर खुद को उर्जावान रहने का ब्रत लिया हुँ।

 मेरे ज्ञान के प्रतिकात्मक स्परुप मेरे आराध्य मेरा सतत कल्याण का मार्ग खुलता रहे इसकी कामना से ही ए कठीन ब्रत को रखा है। साधना से दैहिक एवं भौतिक बिकार को नष्ट करते हुए ध्याण से आपके दिव्य शक्ति का एहसास हमे सितलता प्रदान कर रहा है, प्रभु।

 हे मुक्ती दाता, ध्याण के परम तत्व, कर्म से आत्मीय शक्ति के स्त्रोत के प्रतिपादक, आपका सानिध्य सदा हमे मिलता रहे। आपके ज्ञान की गंगा का आशिष पाऊँ मुझ भक्त पर ऐसी दया दृष्टि बनाये रखना। मेरे समझ की पटल पे जो है उसे मै और आगे बढ़ाऊँ। आपका कृपा पात्र बन जाऊँ, ऐसा आर्शवाद दो प्रभु। मेरी पार्थना स्वीकार करो प्रभु।

नोटः भगवान के धाम के जाने के प्रार्थी भक्तजन आप अपने बिचार को जरुर रखें जिससे की सबको एकांत्म भाव सो जोड़ा जा सके। आप इस काव्य लेख के लिंक को शेयर जरुर करे। आपको शिव शक्ति प्राप्त हो।

 जय शिव

लेखक एवं प्रेषकः- अमर नाथ साहु

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By sneha

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