प्यार की खोज

प्यार की खोज

प्यार की खोज युवावस्था के शुभारम्भ के साथ ही प्यार की सुगबुगाहट होने लगती है। कुछ प्यार मे सफल हो जाते है तो कुछ सफलता के मझदार मे उलझ जाते है। इन उलझे को सुलझने की जरुरत है जिससे की जिन्दगी की नैया को पार लगाया जा सके। वस्तुतः प्यार को चाहने वाले की समझ कुछ अलग होती है। वह अपने कार्य के प्रती ज्यादा जुराव रखते है। उसमे इसके करने के प्रति एक जजवा होता है। जिसे पा जाने के वाद उसके विकाश की दिशा उतरोत्तर हो जाती है। यदि व्यक्ति भूखा हो तो उसको प्यार की चाहत नही…
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Bali aur Sugriv

सुग्रीव बाली गृह स्थल रामायण कालीन समय की गाथा हमारे जनमानस मे बड़ा ही गहरा स्थान पा चुका है। हमारे रहन-सहन से लेकर हमारी पुजा-पाठ तक की बिचारधारा को इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता है। इसके वास्तविक होने के प्रमाण दिये जाते रहे है। यदि ऐसा सुनहरा जगह मिल जाय जिससे की इस कथानक के किरदार के बारे मे जानकारी हो तो मन मे उतावलापन तो देखने को मिलता ही है। ऐसे ही एक वाक्या बाली-सुग्रीव के बारे मे कही जाती है। बाली-सुग्रीव के रामायण कालीन समय के गृह स्थल को देखने का मौका मिला। पता चला की…
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बिंदास पल

बिंदास पल

बिंदास पल मन बड़ा ही चंचल और स्वछंद होता है। वह हमारे आसपास घटित होने वाली घटना के अत्यंत बारीक बदलाव से भी प्रभावित हो जाता है। उस भाव को आत्मसात करना या छोड़ना हमारे वर्तमान परिस्थिती के हमारे अनुवंध पर निर्भर करता है। लगातार हो रही इस प्रकार की घटना से हमारे अंदर एक नाकारात्मक बिचार की द्वंध बढ़ने लगता है जिसके कारण हमारे निर्णय की शक्ति प्रभावित होने लगती है और तनाव के शुरुआती भाव हमारे ऊपर दिखने लगता है। इस भाव से निजात पाने के लिए हमें एक युक्ती से गुजरना होता है जिसके बाद हमारे भाव…
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खूंटी यात्रा

खूंटी यात्रा

हमारी खुंटी यात्रा         यात्रा का अपना ही एक आनन्द होता है। एक पुरानी यादें ने हमारे बिचार को गति दी और हमलोग खुंटी की यात्रा का मन बना लिया। यात्रा को आसान बनाने के लिए हमलोगों ने रेलवे को चुना जो बस की यात्रा से ज्यादा आरामदायक लगा। हमलोग अपनी व्यवस्था के साथ रांची के लिए निकल लिये। रात्री यात्रा से गुजरते हुए सुवह का नजारा बड़ा ही अदभुत था। पहाड़ी ईलांको से गुजरता हमारी गारी धिरे-धिरे अरने मंजिल के तरफ बढ़ रही थी। ध्यान धड़ी पर भी था क्योकि जिस कार्य हेतु जा रहा था वहां समय से…
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एक पुकार

एक पुकार

एक पुकार 21 वीं सदी मे समाज के बढ़ते सुख के साधन के साथ चुनाव की समस्यायें भी बड़ी हो गई है। जीवन की वास्तविकता से सत्य को खोजता मानव सुखी और संतुष्ट होना चाहता है, लेकिन उसके पास जो, स्रर्वश्रेष्ठ आरोहन करने की मनोभाव है, उससे एक पुकार बनी रहती है। इस पुकार के आंतरिक हलचल को बाहर के व्यवस्था से पुर्ण हुआ जाना जरुरी है।     तनाव रहीत मन मस्त होता है। मस्त मन को बदलाव अच्छा लगता है। वदलाव के साथ जो खुशी का तरंग आता है, उसको विस्तार की जरुरत होती है। विस्तार के साथ सहयोग…
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शक्ति कलश

शक्ति कलश

शक्ति कलश एकात्म बिचार से लोगों को जोड़ने के लिए हिन्दु जनमानस को यज्ञ के माध्यम से उत्साहित किया जाने वाले ये कार्यक्रम गायात्री परिवार की एक महत्वकांक्षी योजना है। धार्मिक उत्सव से जन आन्नदोलन के द्वारा वर्गिकृत समाज को एक पटल पर लाकर विकास की प्रक्रिया को उच्चतम स्तर पर ले जाने का ये प्रयास लगातार चल रहा है।     शक्ति कलश की यात्रा से यज्ञ की शुरुआत किया जाता है लोगों के भावनाओ को नये सिरे से सुत्रवद्ध करते हुए जीवन मे आगे बढ़ने के गुण को नवीकृत करके बिचारोन्नमुख से उत्साहवर्धन का योग गुणकारी है। संबंधित लेख…
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पल दो पल

पल दो पल

पल दो पल खुशियों को पाने के लिए हम लोग लगातार प्रयासरत रहते है, जीवन के जिद्देजहद से बाहर निकलने की हमारी लगातार कोशिश का एक पड़ाव दोस्ती आता है जिसमे हमारी भावनाए अपने चरम स्तर पर होती है। हम खुल के वातचीत करते है जिससे हमारी आंतरीक विचार को प्रवलता मिलती है। हमारी कमजोरी को समझने तथा उसे दुर करने का सुगम मार्ग को ढ़ुढ़ने का तरीका भी मिल सकता है। हमारा उल्लासित मन हमें सतत विकास की ओर उन्नमुख रहने के लिए उत्साहित रहता है। पल दो पल से हमारा तातपर्य दोस्ती के भाव पुर्ण संवाद से है…
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भाव के मंदिर

भाव के मंदिर

भाव के मंदिर मंदिर के प्रकृति तथा उसका आभामय विन्यास को लेकर हमारे मन मस्तिष्क में जो बिचार उतप्लावित होता है उससे एक भाव का निर्माण होता है जो हमे कुछ सिखने के लिए प्रेरित करता है। यही प्रेरणा हमें मंदिर ले जाती है और उस उतप्लावित भाव को स्थाई रुप देते हुए जीवन उत्कर्ष को आगे बढ़ाती है।    भाव सदा एक जैसा नही रहता है इसकी प्रकृति समय के साथ बाहरी व्यवस्था से बदलात रहता है लेकिन हमे जो बिचार आनंद देती है उसका हमारे जीवन मे बड़ा ही महत्व होता है। इसलिए भाव के प्रकार से हमारे…
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घुंघट की आरजू

घुंघट की आरजू

घूंघट की आरजू घुंघट की मर्यादा को निभाने के लिए बहु संकल्पित होती है जिससे की कुल-खनदान की मान-मर्यादा की रक्षा हो सके। बिचार मे द्वंद्ध होने से बिखराव होता है, खुबसुरती के आकर्षण से लगाव होता है, लेकिन घुंघट के बनाव से प्रेम भरा आशीष का योग बनता है, जो परिवार के विकास के लिए जरुरी होता है। परिवार के सभी सदस्य को अपनी सीमा मे रहकर कार्य करना होता है जिससे की विकास की धारा बहती रहै। धुंघट मे लिपटी बहु की आश बड़ी होती है क्योकि उसको एक सिमित दायरे मे काम करना होता है वांकी के…
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कुलदीपक

कुलदीपक

कुलदिपक अल्पकालिक जीवन के भविष्य की पहचान कुलदीपक से होती है, इसके आगमन से परिवार का जहां निर्माण होता है वही एक उम्मीद की किरण दिख जाती है। जीवन के अंतिम पन में सेवा की तमन्ना भी यहां से आकार लेने लगती है। मानव जीवन को अपने वैभवशाली अतीत को आगे ले जाने के लिए भी कुलदीपक की जरूरत होती है। दिर्ध सोंची मानव को समय के साथ आगे चलने की प्रेरणा भी प्रकृतिक विधान से ही मिलता है। जीवन की गम्भीर चुनौती का समना करते हुए किसी अनहोनी की आशंका मन को उद्वेलित करती है वही पर संपत्ती की…
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