पल दो पल

पल दो पल

पल दो पल खुशियों को पाने के लिए हम लोग लगातार प्रयासरत रहते है, जीवन के जिद्देजहद से बाहर निकलने की हमारी लगातार कोशिश का एक पड़ाव दोस्ती आता है जिसमे हमारी भावनाए अपने चरम स्तर पर होती है। हम खुल के वातचीत करते है जिससे हमारी आंतरीक विचार को प्रवलता मिलती है। हमारी कमजोरी को समझने तथा उसे दुर करने का सुगम मार्ग को ढ़ुढ़ने का तरीका भी मिल सकता है। हमारा उल्लासित मन हमें सतत विकास की ओर उन्नमुख रहने के लिए उत्साहित रहता है। पल दो पल से हमारा तातपर्य दोस्ती के भाव पुर्ण संवाद से है…
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भाव के मंदिर

भाव के मंदिर

भाव के मंदिर मंदिर के प्रकृति तथा उसका आभामय विन्यास को लेकर हमारे मन मस्तिष्क में जो बिचार उतप्लावित होता है उससे एक भाव का निर्माण होता है जो हमे कुछ सिखने के लिए प्रेरित करता है। यही प्रेरणा हमें मंदिर ले जाती है और उस उतप्लावित भाव को स्थाई रुप देते हुए जीवन उत्कर्ष को आगे बढ़ाती है।    भाव सदा एक जैसा नही रहता है इसकी प्रकृति समय के साथ बाहरी व्यवस्था से बदलात रहता है लेकिन हमे जो बिचार आनंद देती है उसका हमारे जीवन मे बड़ा ही महत्व होता है। इसलिए भाव के प्रकार से हमारे…
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घुंघट की आरजू

घुंघट की आरजू

घूंघट की आरजू घुंघट की मर्यादा को निभाने के लिए बहु संकल्पित होती है जिससे की कुल-खनदान की मान-मर्यादा की रक्षा हो सके। बिचार मे द्वंद्ध होने से बिखराव होता है, खुबसुरती के आकर्षण से लगाव होता है, लेकिन घुंघट के बनाव से प्रेम भरा आशीष का योग बनता है, जो परिवार के विकास के लिए जरुरी होता है। परिवार के सभी सदस्य को अपनी सीमा मे रहकर कार्य करना होता है जिससे की विकास की धारा बहती रहै। धुंघट मे लिपटी बहु की आश बड़ी होती है क्योकि उसको एक सिमित दायरे मे काम करना होता है वांकी के…
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कुलदीपक

कुलदीपक

कुलदिपक अल्पकालिक जीवन के भविष्य की पहचान कुलदीपक से होती है, इसके आगमन से परिवार का जहां निर्माण होता है वही एक उम्मीद की किरण दिख जाती है। जीवन के अंतिम पन में सेवा की तमन्ना भी यहां से आकार लेने लगती है। मानव जीवन को अपने वैभवशाली अतीत को आगे ले जाने के लिए भी कुलदीपक की जरूरत होती है। दिर्ध सोंची मानव को समय के साथ आगे चलने की प्रेरणा भी प्रकृतिक विधान से ही मिलता है। जीवन की गम्भीर चुनौती का समना करते हुए किसी अनहोनी की आशंका मन को उद्वेलित करती है वही पर संपत्ती की…
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दो हाथ

दो हाथ

दो हाथ जीवन में आगे बढ़ने के लिए सतत सार्थक प्रयास की जरूरत होती है। इसके बाबजूद यदि सफलता नहीं मिलती है तो सामूहिक प्रयास की अवधारणा की जाती है जिससे की कार्य संपादन के विभिन्न पहलू को सही तरह से समझते हुए आगे बढ़ सके। कार्य के विभिन्न पहलुओं को समझने के लिए अलग अलग गुण वालों को एक साथ एक धारा में कार्य करते हुए सफलता की ओर बढ़ना होता है। इसे सामान्य भाषा में लोग हाथ मिलाकर कार्य को गति देना कहते है। प्रयास के द्वारा समस्या के समाधान को गुणकारी व्यक्ति स्वयं के समर्थ से कार्य…
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मुस्कान और थकान

मुस्कान और थकान

मुस्कान और थकान रिस्तो मे भावनाओं को समझने की कला के साथ एक दुसरों को खुश रखने की मनोबृती बनने लगती है तो सुख और समृद्धी का अनोखा मौसम छा जाता है। आस परोस बन्धु बांधव के साथ भी हमारा व्यवहार अनोखा होने लगता है। कहते है शुरुआत खुद से हो और आगे बढ़ाते जाए तो बिश्वास भी मजबुत होने लगता है। समय के साथ होने वाली परेशानी और उससे निपटने के तरीके को यदी हम सही से नही समझते है या हमारी आकांक्षा काफी उंची होती है और हमारी आमदनी कम तो हम जीवन मे तनाव के साथ जीते…
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मेरा प्यारा बाबू

मेरा प्यारा बाबू

मेरा प्यारा वाबू नन्हा जीवन की हर संकेतपुर्ण बातें प्राकृतिक रुप से शुद्ध और निःछल होता है जो बड़ो को वहुत भाता है जो आगे बढ़ने की प्रेरणा उनमे जगा जाता है। यही जजवा बिकाश का सुत्रधार होता है। जीवन को समझने का सही समय भी यही होता है इस समय सिखने और प्रतिक्रिया देने से उसके भावी जीवन के बारे मे बेहतर कल के निर्माण से सार्थक कदम उठाये जा सकते है, जिससे उसके बिकाश को सही दिशा मिले। हर एक बात को सिखने समझने के लिए भाव और संकेत काफी होते है जो नाजुक खाली मस्तिस्क पर अंकित…
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सम्मान का दर्द

सम्मान का दर्द

सम्मान का दर्द भरोसे की जिन्दगी में जो सम्मान लोगो से मिलता है यह सोचने का समय ही देता है कि यदि यह भरोसा टुट जाय तो क्या होगा। खुश रहने की हमारी हमारी प्रबृती हमें बिषम परिस्थिती के बारे मे सोचने से रोकती है क्योकि उस परिस्थिती की जानकारी के बाद हमारी जागृत चेतना हमे उस घडी का सामना करने के लिए तैयार कर देती है जो खुश रहने के समय के लिए सही नही है। लोग कहते दिख भी जाते है समय आयेगा तो देख लेंगे।  एक दिन भरोसा अचानक टुट गया अब स्वयं की गुणकारी भाव के…
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दस्तक

दस्तक

दस्तक व्यस्तता के बिच आपके अधिकतम व्यवस्था के साथ जागृत भाव प्रकट करते हुए आपको व्यवहार करना होता है जिससे ततक्षण आये अतिथि का पुरा सम्मान हो सके। आपको उसके माल्यांकण का समय नही होता है आपकी अपनी समस्या से सामने वाले के कार्य व्यवहार के साथ अधिकतम निष्ठा रखनी होती है। जिससे की आपसी सबंध को एक उँचाई मिल सके।         स्वार्थवादी समाजिक व्यवस्था के बिच लोग आगे बढ़ने के लिए कई तरह के प्रयोजन का स्तेमाल अपने क्षमता के हिसाव से करते है। इसमे संभावना का अधिकतम इस्तेमाल करते हुए आगे निकलने की प्रेरित लोग बड़े ही तीखा…
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संतुष्टि और सहयोग

संतुष्टि और सहयोग

संतुष्टि और सहयोग संतुष्टी हमें विकाश की सीमा मे हमे वांधकर आगे बढ़ने मे मदद करता है लेकिन कुछ लोग ऐसे होते है जो समय के साथ बिकल्प को तलाशते हुए सहयोग लेकर आगे निकल जाते है। उसके दिमाग मे आगे निकलने की उत्कृष्ट आकांक्षा रहती है जिसके कारण सार्थक गुण के विकास मे समय गवाने को छोड़कर वह बिकल्प को अपनाते हुए आगे निकल जाते है। सहयोग करने वाले के पास सहयोग के रुप मे मिलने वाला सराहना होता है नही मिलने पर उलहना होता है वह सहयोग नही करने वाले की प्रतिष्ठा को कम करने का प्रयास करते…
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